प्रश्न: मन्दिर प्रबंधन पाठ्यक्रम का उद्देश्य क्या है ?
उत्तर: प्रस्तावित पाठ्यक्रम के निम्नलिखित उद्देश्य हैं –
मन्दिरों के प्रबन्धन के प्रति जन जागरूकता उत्पन्न करना।
मन्दिर के व्यावहारिक पक्षों से जन सामान्य को लाभान्वित करना।
मन्दिर की व्यावहारिक एवं क्रियात्मक संरचना के प्रति बोध उत्पन्न करना।
मन्दिरों के वैज्ञानिक एवं कलात्मक पक्षों का भारतीय ज्ञान परम्परा के अनुरूप विश्व पटल पर स्थापन।
सनातन धर्म की विकास यात्रा एवं लोककल्याण में मन्दिरों के महत्व का अवबोध उत्पन्न करना।
मन्दिरों में प्रबन्धन के लिए प्रदत्त शास्त्रीय निर्देशों की स्थापना करना।
प्रश्न: मन्दिर प्रबंधन पाठ्यक्रम के लाभ क्या हैं ? उत्तर: मन्दिर प्रबंधन पाठ्यक्रम के निम्नलिखित लाभ हैं –
रोजगार के अवसर: मंदिर प्रबंधन पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद, छात्र मंदिरों, धार्मिक संगठनों, और सांस्कृतिक संस्थानों में रोजगार के अवसर प्राप्त कर सकते हैं।
सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण: छात्र मंदिरों की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को समझने और संरक्षण के तरीके सीखने में सक्षम होते हैं।
प्रबंधन कौशल: छात्र मंदिर प्रबंधन के लिए आवश्यक प्रबंधन कौशल और ज्ञान प्राप्त करते हैं।