ज्योतिष एंव कुंडली विज्ञान पाठ्यक्रम के निम्नलिखित उद्देश्य हैं- 1- ज्योतिष शास्त्र के प्रति जन जागरूकता उत्पन्न करना। 2- ज्योतिष शास्त्र के व्यावहारिक पक्षों से जन सामान्य को लाभान्वित करना। 3- ज्योतिष शास्त्र के प्रति विद्यमान भ्रामक अवधारणाओं को दूर करना। 4- ज्योतिष शास्त्र के वैज्ञानिक पक्षों को भारतीय ज्ञान परम्परा के अनुरूप विश्व पटल पर स्थापित करना।
पाठ्यक्रम संरचना
ज्योतिष एवं कुंडली विज्ञान विषय के अन्तर्गत- 1- त्रैमासिक षाण्मासिक, एव वार्षिक पाठक्रम सचालित होंगे । 2- त्रैमासिक एवं षाण्मासिक प्रमाण पत्रीय पाठक्रम होंगे । 3- वार्षिक पाठयक्रम डिप्लोमा पाठयक्रम होगा । 4- त्रैमासिक, षाण्मासिक, एव ं वार्षिक पाठयक्रम षाण्मासिकडिप्लोमा में क्रमशः कुल 90, 180, एवं 360 कालांश होंगे। 5- पाठयक्रम में कालांश की अवधि एक घंटे की होगी । 6- प्रत्येक पाठयक्रम मैं 04 पत्र होंगे । 7- सप्ताह में पांच कार्यदिवसों में सांयकाल निर्धारित समयानुसार कक्षाये ऑनलाइन प्रचलित होंगी ।
सहायक एवं सन्दर्भ ग्रन्थ
मुहूर्त्तचिंतामणि भारतीय ज्योतिष भारतीय कुंडली विज्ञान लघुजातकम् जातकालंकार जातकपारिजात ताजिकनीलकंठी षट्पंचाशिका जातकतत्वम्